
गौरी शंकर रुद्राक्ष एक विशेष प्रकार का रुद्राक्ष होता है जो दो रुद्राक्ष बीजों के प्राकृतिक रूप से जुड़े होने के कारण बनता है।
यह रुद्राक्ष भगवान शिव और माता पार्वती के संयुक्त रूप का प्रतीक माना जाता है, जहां "गौरी" माता पार्वती को और "शंकर" भगवान शिव को दर्शाता है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इसे धारण करने से जीवन में संतुलन, शांति, और वैवाहिक सुख प्राप्त होता है।
यह रुद्राक्ष आमतौर पर दुर्लभ होता है और इसे आध्यात्मिकता, ध्यान, और सकारात्मक ऊर्जा के लिए उपयोग किया जाता है। यह रुद्राक्ष अपनी दुर्लभता और आध्यात्मिक शक्ति के लिए प्रसिद्ध है।
ज्योतिष और तंत्र शास्त्र में इसे शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि यह शरीर के ऊर्जा चक्रों (चक्रों) को संतुलित करने में मदद करता है।
वैवाहिक सुख: यह दांपत्य जीवन में प्रेम, विश्वास और सामंजस्य बढ़ाता है। जिन लोगों के वैवाहिक जीवन में तनाव है, उनके लिए यह लाभकारी माना जाता है।
आध्यात्मिक उन्नति: ध्यान और साधना में गहराई लाता है, मन को शांत करता है और आत्मिक जागरूकता बढ़ाता है।
स्वास्थ्य: मानसिक तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं को कम करने में सहायक माना जाता है।